इंडिया,भारत,हिंदुस्तान, जैसे नाम का पूरा इतिहास से फूल फॉर्म और बहुत सारी जानकारियां आपको देने वाला हुं।
(कृपया पूरा पढ़े)
भारत का फुल फॉर्म क्या आप जानते हैं कि इंडिया का नाम इंडिया कैसे परा?
पूरे विश्व में इंडिया ऐसा देश है जिसमें पांच से छह नाम से जाने जाते हैं भारत
1.भारत (भारत का फुल फॉर्म)
2.हिंदुस्तान (हिन्दुस्तान का पूरा नाम )
3. इंडिया (का फुल फॉर्म)
4.आर्यावर्त (आर्यावर्त का फुल फॉर्म )
5.लक्षदीप और जम्बूद्वीप(का पूरा अर्थ)
आपको बता दूं कि भारत सबसे प्राचीन नाम है यह नाम प्राचीन महान सम्राट भारत के सम्राट राजा भरत के नाम पर पड़ा है
हिंदुस्तान 12 वीं शताब्दी के आसपास से बोलचाल में रहा है अक्सर बहुत से लोगों का मत है
कि यहां हिंदुओं की जनसंख्या के कारण हिंदुस्तान यानी हिंदू अस्थान हिंदुओं का देश स्थान जगह
इंडिया वास्तविक में भारत का इंडिया नाम होने का श्रेय प्राचीन इंडस नदी है जिसे अब तक इंडिया कहा जाना लगा
क्षेत्रफल के हिसाब से सातवां दुनिया का सबसे बड़ा देश है भारत
आप अन्य देशों के नाम में इन 2 वर्ड का उपयोग देख सकते हैं या देखे होंगे इंडोनेशिया वेस्टइंडीज इत्यादि सिंधु नदी के दूसरी तरफ के लोगों को इंडीज या indoi करते हैं
इंडिया का फुल फॉर्म (full form of India)
English और हिन्दी में,
I- independent/incomparable
N- National
D- the largest Democratic/devotional country
I- intelligent /incredible India
A- angelical
भारत का ऑफिशियल name और पूरा नाम the republic of India) द रिपब्लिक ऑफ इंडिया भारत गणराज्य है
भारत के अन्य कितने नाम हैं जैसे कि आपको उन पांचों नामों के बारे में बताया इसके अलावा जो कभी-कभी बोलचाल में रही है वह है जम्बूद्वीप इस नाम का अर्थ स्पष्ट है
जहां जम्मू का मूल अर्थ जामुन फल और द्वीप का arat देश जैसे एशिया का भी महाद्वीप कहा जाता है नवी वर्षा जैन धर्म ग्रंथों के अनुसार भारत के प्राचीन चक्रवर्ती राजा नाभि जिसके नाम पर नबी वर्षा पुकारा जाने लगा इसे al-hind बैंजो ट्रेन जी की कथित नामों से पुकारा जाने लगा
हमारे पृथ्वी के फॉर्मेशन के बाद ये 25 करोड़ साल पहले कॉन्टिनेंट का बनना शुरू हुआ।
तब हमारा इंडिया साउथ अमेरिका ऑस्ट्रेलिया आपने गौर अंटार्कटिका का एक हिस्सा था जिसके दूर दूर तक एशिया का कोई नामोनिशान नहीं था पर
फिर आज इंडिया एशिया का हिस्सा कैसे बन गया।
आज रोड मैप में इंडिया इन सभी देशों से इतना दूर कैसे हो गया।
क्या आपके पास हैं।
इन सवालों का जवाब एम श्योर की नहीं होगा कोई बात नहीं।
इसपर तो आज हम डीप डिस्कशन करेंगे।
और इसके साथ हम ये भी जानेंगे कि कैसे हमारा इंडिया का फॉर्मेशन डायनासोरों का अंत करने में एक बहुत ही बड़ा हाथ रखता है
और इस सच की सच्चाई आपको कुछ ही देर में जानने को मिलेगी पर उससे पहले बताई जाने वाली बात ये है कि आज इंडिया इन सभी देशों से दूर एशिया में आ तो गया है लेकिन एशिया की धरती के साथ एक होने के बाद से ही इंडिया धीरे धीरे करके हर साल थोड़ा थोड़ा करके एशिया के प्लेट्स के नीचे धंसता ही जा रहा है जिसकी वजह से नेपाल में होने वाले भूकंपों को जन्म दे रहा है वह काफी अनफेयर है
लेकिन ये सब कहां से शुरू हुआ क्यों शुरू हुआ। इन सारे सवालों के जवाब और इन सारी बातों के बारे में आज हम जानने वाले हैं।
इंडिया का जन्म कैसे हुआ।
हमारी दुनियां आज से 20 करोड़ साल पहले जब हमारी पृथ्वी पर न कोई देश था ना किसी देश की सरहदें थी और कुछ था तो वो एक मात्र कॉन्टिनेंट पैन इंडिया। उसके चारों तरफ़ फैला हुआ इकलौता महासागर टैन
था। हर तरफ़ हरियाली थी खुला आसमान था और उसके पहले हमारी पृथ्वी पर तीन बार जीवन खत्म होने के बाद जीवन ने फिर से एक पर पनपना शुरू किया था
डायनासोर से लेकर मगर मगरमच्छ शाक्य कॉक्रोच जैसे कई जीव टांगिया में रहते थे लेकिन बिना किसी बंधन से बंधा हुआ पैशन जिया
जुरासिक पीरियड के शुरुआती सालों में धीरे धीरे करके अलग होने लगा और ताजिया के दो अलग टुकड़े हो गए जिसे दो नये सब कॉन्टिनेंट बने।
पहले सब कॉन्टिनेंट का नाम था लौरेशिया जिसमें से आगे चलकर एशिया यूरोप और नॉर्थ अमेरिका बनने वाले थे।
और दूसरे हिस्से का नाम तक गोंडवाना द्वीप जिसने आगे जाकर साउथ अमेरिका अफ्रीका इंडिया अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया बनाना था। इन दोनों सब कॉन्टिनेंट के बनने से पंडरिया के बीच में पानी की बड़ी सी खाई बनी और इसे तथा इस ओशियन का नाम मिला इंट्रेस्टिंग राइट।
लेकिन एक सवाल आपके दिमाग में आया होगा कि ये सब हम आखिर जान कैसे पाए क्योंकि इंसान तो पृथ्वी पर आज कुछ सात करोड़ साल पहले से ही आया है तो ये ज्ञान हमें कहां से प्राप्त हुआ।
इस ज्ञान को दुनिया तक पहुंचाने का श्रेय अल्फ्रेड वैगनर नामक एक जर्मन रॉल जस्ट और जियोलॉजिस्ट को जाता है जिन्होंने सन् नौजवान जेल में ही पांडिया थ्योरी को दुनिया के सामने रखा था लेकिन आज इन्हें दुनिया का एक नियम तो है ही कि हर नई और अलग चीज हमें गलत ही लगती है स्टार्टिंग में बिल्कुल वैसे ही वैगनर की पांडिया थियरी सभी को गलत नहीं थी पर फिर उसके बाद काफी सारे स्पोट्र्स किए गए और आज हर कोई इस थ्योरी को सही मानता है। अल्फ्रेड बेचने पंजीयन थियरी यूं ही नहीं दी थी। पांडिया की थ्योरी को सच साबित करने के
लिए उन्होंने बायोलॉजिकल और जियोलॉजिकल मिलान का सहारा लिया। जैसे ही वो मैसूर सोरेस जो एक तरह का पानी में रहने वाला जीव था और आज के सांपों का पूर्वज है उसके फॉसिल साउथ अमेरिका और अफ्रीका दोनों में पाए गए थे पर आज साउथ अमेरिका और अफ्रीका के बीच में अटलांटिक ओशन खड़ा है और
अटलांटिक ओशन को पारकर बिना महसूस और उसके लिए नामुमकिन था। इसका मतलब साफ है कभी ये दोनों देश एक हुआ करते थे और बाद में कॉन्टिनेंटल के ड्रिफ्ट होने से ये अलग अलग हो गए और तभी तो इस जानवर के फॉसिल दोनों देशों में पाए जा सके। इतना ही नहीं ब्राजील के कोस पर पाए गए इंडियन रॉक्स का मैच वेस्ट अफ्रीका में भी पाया गया।
और तो और 225 जोकि एक एक्साइटिंग फोन प्लांट है लिस्ट वो सोर्स जो कि घास फूस खाने वाला एक जानवर है और हार्ट वाले ट्रायल मोबाइल के फॉसिल्स इंडिया के साथ साथ साउथ अमेरिका अफ्रीका अंटार्कटिका में मिले। मतलब साफ है अल्फ्रेड की पांडिया थियरी गलत नहीं थी। आज भी अगर आप बोलना को उठाकर देखोगे तो आपको क्लियर नजर आएगा कि कई कंट्रीज के बॉर्डर्स एक दूसरे के पजल पीसेस की तरह नजर आते हैं जैसे ब्राजील और अफ्रीका।
अगर आप मैप देखें लगेगा कि ये एक दूसरे के हिस्सा हुआ करते थे। बिल्कुल क्योंकि एक समय में ये सब एक ही कॉन्टिनेंट के हिस्से थे जो अब बाद ही आते हैं ना कि अलग अलग आखिर क्यों।
आखिर इनके अलग होने के पीछे का क्या कारण है।
धरती पर जो अलग अलग टेक्टोनिक प्लेट से न उनका अलग होना अब इसे और आसान भाषा में समझौतों टेक्टोनिक प्लेट और उपर मैंटल के ऊपर जमीन यानी डस्ट है जिस पर अर्थ (पृथ्वी) के कोर यानी उस हिस्से से। सूरज जितनी गर्मी है वहां से निकलती गर्मी आकर टकराती है जिससे टेक्टोनिक प्लेट के नीचे का क्रस्ट या पत्थर गरम होने लगता है
और ऊपर की तरफ जाने लगता है और ऐसे में टेक्टोनिक प्लेट के ऊपर के ठंडे पत्थर नीचे की ओर आते हैं और अंदर की गर्मी से वो गर्म होकर ऊपर जाते हैं जिसे एक कनेक्शन साइकिल बन जाता है और जैसे जैसे साइकल चलती है कॉन्टिनेंट के टेक्टोनिक प्लेट एक दूसरे से दूर होने लगते हैं और इसी बढ़ती दूरी की वजह से भी पांडिया दो हिस्सों में अलग होकर इंडोनेशिया और गोंडवाना बन गया था। सो अब जिया से गुदवाना कैसे बना और जिया थियरी सही है यह तो हमने जान लिया है लेकिन अब इंडिया गोंडवाना से कैसे अलग हुआ ये जानने के लिए हमें आज से 13 से 14 करोड़ साल पहले जाना होगा। ये देखो टेक्टोनिक प्लेटों की मूवमेंट की वजह से
इंडिया ने नॉर्थ के एशिया की तरफ़ बढ़ना शुरू कर दिया। लेकिन क्या आपको उदय इंडिया हर साल 18 से 20 पर यर किस स्पीड से एशिया की तरफ़ पड़ते जा रहे और अब अंत में आप भी सोचो यार इसमें कौन सी बड़ी बात 18 से 20 सेंटीमीटर यानि एक हाथ के बराबर ये स्पीड तो काफ़ी स्लो लेकिन
ऐसा नहीं है कि स्पीड बाकी ये कॉन्टिनेंट से जोकि 4 से 5 सेंटीमीटर की स्पीड से अलग अलग दिशाओं में बढ़ रहे हैं उनसे एक या दो नहीं बल्कि चार गुना ज्यादा है और 2000 से 2010 के बीच जर्मन और इंडियन साइंटिस्ट्स के खोज से ये पता लगा कि इंडिया की 18 से 20 की स्पीड का कारण गोंडवाना कि लूम थे अब ये प्लान क्या होते ब्लूम असल में और कुछ नहीं बल्कि एक तरह के बहुत ही गर्म मेन्टल रॉक्स होते हैं जो वर्टिकल पृथ्वी के कोर से क्रस्ट की तरफ़ जाते हैं।
कुछ इस तरह जैसे आप देख सकते हो और बिल्कुल इसी तरह कोण से क्रस्ट के आस पास पहुँचकर ये फ्लू फैलने लगते हैं और ट्रस्ट को अंदर से गरम करते हैं जिसकी वजह से क्रस्ट का सरफेस धीरे धीरे करके खराब होने लगता है और क्रैक होने के साथ ही यहां बुलाया निक हॉटस्पॉट बनते हैं और फिर साथ में वैज्ञानिक इरेक्शन भी होते हैं और गोंडवाना के इंडियन प्लेट के नीचे भी बिल्कुल ऐसा ही एक बलून था जिसकी वजह से इंडिया के टेक्टोनिक प्लेट के नीचे जानें इंडिया के लिए ठोस औपचारिक रूट ब्लूम की गर्मी से पिघल कर अलग हो गई
जिसे इंडिया का अंदरूनी हिस्सा सिर्फ़ सौ किलोमीटर जितना मोटा रह गया जबकि गोंदवारा के बाकी हिस्से जैसे ऑस्ट्रेलिया अंटार्कटिका साउथ अमेरिका इन सभी की टेक्टोनिक प्लेट 180 से लेकर 300 किलोमीटर जितनी मोटी
और गहरी रही। इंडिया के इसी सौ किलोमीटर गहरी और हल्की प्लेट की वजह से इसने अपने बाकी दूसरे कॉन्टिनेंट के मुकाबले चार गुना ज्यादा तेजी से बढ़ रहा था और लोग एशिया के एशिया की तरफ़ बढ़ते जा रहा था हर तरफ था राख और हर तरफ़ था तबाही का मंजर। इसके साथ ज़मीन पर इस तरह बरसा था आसमान कि हर मंजर अब बेजान बंजर होते जा रहा था। अंत में दुनिया से डायनासोरों को खतम करने का कारण Chicxulub क्रेटर नाम के एस्टेरॉयड को माना जाता है। इस आइंस्टाइन ने सिक्स पॉइंट करोड़ साल पहले धरती पर गिरकर हिरोशिमा नागासाकी के न्यूक्लियर ब्लास्ट से 10 बिलियन गुना ज्यादा स्ट्रॉन्ग ब्लास्ट किया था
जिसकी वजह से हमारे पृथ्वी का पर जीवन खत्म हो गया।
लेकिन जैसे मैंने आपको बताया कि डायनासोर के खत्म होने के पीछे इंडिया का भी बहुत ही बड़ा हाथ था तो यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के एक रिसर्च की मानें तो उन्होंने महाराष्ट्रा के डेक्कन ट्रैक्स की एक स्टडी में पाया कि जो सिक्स पॉइंट करोड़ साल पुराने फॉसिल उन्हें मिले देना उनमें मरक्यूरी का लेवल बहुत ही आया था यानि आज ट्वीट के इफेक्ट के पहले ही वो हक्कानी के रक्षण जैसे इंडिया के डेक्कन ट्रिप्स बने थे। उसी के वजह से वहां की हवा में पोस्टर्स कैसेट्स मौजूद थीं। मरक्यूरी के हाई कॉन्ट्रिब्यूशन की वजह से ज़मीन इतनी बर्बाद हो चुकी थी की पेड़ पौधे तक पनपने बंद हो गए थे और साथ ही पानी में लावा की वजह से सल्फर की मात्रा बढ़ने से समुद्र का पानी तेजाब बन चुका था और यही वजह थी के अर्थ पर जीवन का विनाश एस्टेरॉयड के गिरने से पहले ही शुरू हो चुका था
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