लिथियम आयन बैटरी क्या है ?
लिथियम आयन बैटरी एक प्रकार की rechargable बैटरी है। इसमें लिथियम इलेक्ट्रॉनिक नाम का एक पदार्थ होता है जो वाहनों , लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन आदि को बिजली देने के लिए प्रयोग किया जाता है। लिथियम आयन , इस बैटरी को बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ होता है।

लिथियम आयन बैटरी का प्रयोग बिजली के उपकरणों और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों में किया जाता है। लिथियम आयन बैटरी एक नयी तकनीक की बैटरी है जो लिथियम आयनों को अपने मुख्या इलेक्ट्रॉनिक घटकों के रूप में प्रयोग करती है।
जब यह बैटरी डिस्चार्ज हो जाती है तब इसके एनोड में लिथियम परमाणु उत्पन्न होते हैं और उनके एलेक्ट्रोनो से अलग की ओर चले जाते हैं। आंशिक रूप से लिथियम के छोटे आकर के कारण ली -आयन बैटरी प्रति यूनिट द्रव्यमान और इकाई मात्रा में बहुत ज़्यादा वोल्टेज और चार्ज स्टोरेज रखने में सक्षम है।
लिथियम आयन बैटरी कैसे काम करती है ?
आयनों की गति ऊर्जा इलेक्ट्रान बनाने में मदद करती है। इस बैटरी में ऊर्जा लक्ष्य डिवाइस में बहती है। जो सहायता के लिए मोबाइल फ़ोन भी हो सकता है। इस बैटरी के अंदर विभाजन का काम बैटरी के अंदर एलेक्ट्रॉनों के बहाव को रोकना है। इसी तरह यह बैटरी काम करती है।
क्या लिथियम आयन बैटरी फट सकती है?
किसी भी चीज़ के सबसे आखिरी में सुरक्षा होती है। हमारी जानकारी के लिए किसी भी लीड एसिड बैटरी के प्रयोग में कभी भी सुरक्षा याद नहीं रहती है क्यूंकि हम जानते हैं की पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर उपकरणों और यहाँ तक की इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में लिथियम आयन बैटरी के मामले में ऐसा भी होता है की बैटरी फट जाती है और ऐसा तब होता है जब बैटरी को सावधानी से इस्तेंमाल नहीं किया जाता है।
एक न्यूज़ में दिखाया गया था की कुछ हफ्ते पहले यूके में एक नए हाइब्रिड वॉल्वो के साथ क्या हुआ था। इस वॉल्वो को जब चार्जिंग पर लगाया गया तो इसकी लिथियम आयन बैटरी में आग लग गयी। इससे वहां पर बहुत नुकसान देखने को मिला था।
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अन्य बैटरी से ज़्यादा बेहतर होती है लिथियम आयन बैटरी :
अन्य बैटरियों की तुलना में लिथियम आयन बैटरी ज़्यादा बेहतर होती है क्यूंकि इसकी लाइफ लैड एसिड बैटरी की तुलना में ज़्यादा लम्बी होती है। लिथियम आयन बैटरी एक घंटे में 150 वाट ऊर्जा स्टोर कर सकती है।
हाल ही में एक व्यक्ति जिनकी दो पहिये के वहां की कंपनी है उन्होंने अपने एक पोस्ट में कहा था की लिथियम आयन बैटरी की उच्च ऊर्जा घनत्व के चलते इसकी कार्यक्षमता बाधित हो सकती है। उन्होंने बताया की यदि इसको एक सुरक्षित सीमा के भीतर चलाया जाए तो यह बेहतर काम करेंगे।
लिथियम आयन बैटरी और ग्रेफीन बैटरी में क्या अंतर है?
आज के समय में बाजार में बिकने वाले लगभग हर एक मोबाइल फ़ोन में तिथियम आयन बैटरी डाली हुई होती है। सभी स्मार्टफोन कम्पनिया लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्यूंकि यह हलके होते हैं। लिथियम आयन बैटरी की सबसे बड़ी दिक्कत ये है की इसको चार्ज होने में ज़्यादा समय लगता है।
थियम आयन बैटरी अगर ओवर हीट हो जाती है यानी की ज़्यादा गरम हो जाती है तो इस बैटरी के फटने के चान्सेस भी बढ़ जाते हैं.
और अगर वहीँ बात ग्रेफीन बैटरी की करें तो इसको चार्ज होने में बहुत कम समय लगता है।
इस बैटरी को फुल चार्ज होने में महज़ 12 मिनट का ही समय लगता है। इसलिए ग्राफीन बैटरी , लिथियम आयन बैटरी से कहीं ज़्यादा बेहतर बैटरी होती है।
लिथियम आयन बैटरी का अविष्कार कब हुआ ?
लिथियम आयन बैटरी का निर्माण सन 1976 में हुआ था। इस समय पर इसको प्रो व्हिटिंगम ने बनाकर तैयार किया था।यह सफल सेल एनोड के रूप में लिथियम धातु और केथोड के रूप में टाइटेनियम सल्फाइड से बना था।
इन प्रयोगों ने वहीँटिंगम को बैटरियों में इलेक्ट्रोड जैसी सामग्रियों में विद्युत् रासायनिक संबंधों को पता करने के लिए प्रेरणा दी। बाद में सन 1976 में एक कार्यशील बैटरी बनकर तैयार हुई जिसको बार बार चार्ज किया जा सकता है।
लिथियम आयन बैटरी में आग लगने का खतरा क्यों होता है ?
लिथियम आयन बैटरी , चाहे वो कारों में प्रयोग की जाती हो चाहे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में। यदि ये गलत तरीके से बानी है या फिर बनने के बाद खराब हो गयी है या फिर जिस सॉफ्टवेयर से बैटरी चलती है उसी को गलत तरीके से डिज़ाइन किया गया है तो इस वजह से लिथियम आयन बैटरी में आग लग सकती है।
इलेक्ट्रिक कारों में लिथियम आयन बैटरी की बड़ी कमज़ोरी यह है की इनमे कार्बनिक तरल इलेक्ट्रोलाइट्स का उपयोग किया जाता है। जो अभी टेम्परेचर पर काम करते समय असुरक्षित और ज्वलनशील होते हैं। एक बाहरी बल , जैसे किसी दुर्घटना के समय पर रासायनिक रिसाव होता है।
इस वजह से बैटरी में आग लग जाती है। और कभी भी कोई कार निर्माता या फिर बैटरी निर्माता इस बात का खुलासा नहीं करते हैं की इस बैटरी में आग लगने की संभावना भी होती है।
लिथियम आयन बैटरी को आग लगने से बचाने के उपाय :
चीन की बड़ी बड़ी कंपनियां EV बैटरी सेल का प्रोडक्शन करती हैं जो लिथियम आयरन फास्फेट कैथोड का उपयोग करती हैं।
जिनमे आग लगने की संभावना कम होती है। लेकिन यह उतनी ऊर्जा स्टोर करने में सक्षम नहीं होते हैं जो निकल कोबाल्ट मैंगनीज़ कैथोड का उपयोग करती हैं।
जीएम सहित दुसरे निकल-कोबाल्ट-मैंगनीज़ -एल्युमीनियम टेक्नोलॉजी जैसे कई केमिकल्स की टेस्टिंग कर रहे हैं जो कम कोबाल्ट का उपयोग करते हैं , इससे सेल्स को अधिक स्टेबल और सस्ता बना दिया जाता है।
एक चीन की बैटरी बनाने वाली कंपनी ने पिछले महीने सोडियम आयन बैटरी को पेश किया था जिसमें लिथियम , कोबाल्ट जैसे पदार्थ शामिल नहीं थे।
टोयोटा मोटर्स कॉर्प सहित कई बड़ी कंपनियां सॉलिड स्टेट एलेक्ट्रॉइटिस वाली बैटरी भी मार्किट में उतार रही हैं जो ज़्यादा गरम होने एयर आग लगने के खतरे को कम कर सकती हैं। लेकिन इन कंपनियों ने ने भी बताया की इन बैटरियों के मार्किट में आने में थोड़ा समय भी लग सकता है।
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